


अमरनाथ यात्रा इस वर्ष शांतिपूर्ण तरीके से जारी है और अब तक कुल 2.34 लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन कर लिए हैं। वहीं आज बुधवार की सुबह जम्मू के भगवती नगर से दो एस्कॉर्टेड काफिलों में कुल 6,064 श्रद्धालुओं को रवाना किया गया। पहले काफिले में 95 वाहनों के साथ 2,471 यात्री सुबह 3:30 बजे बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना हुए, जबकि दूसरे काफिले में 139 वाहनों में 3,593 यात्री सुबह 4:07 बजे नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप के लिए निकले।
इस वर्ष की यात्रा में पारंपरिक ‘छड़ी मुबारक’ का भूमिपूजन 10 जुलाई को पहलगाम में किया गया था। महंत स्वामी दीपेन्द्र गिरी के नेतृत्व में साधु-संतों के दल ने श्रीनगर स्थित दशनामी अखाड़े से छड़ी मुबारक को पहलगाम ले जाकर पूजा-अर्चना की और फिर उसे वापस श्रीनगर स्थित दशनामी अखाड़े में रख दिया गया। यह छड़ी 4 अगस्त को श्रीनगर से रवाना होगी और श्रीनगर के ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर तथा हरि पर्वत मंदिरों में विधिवत पूजा के बाद दुर्गा नाग, पंपोर, अवंतीपोरा, बिजबेहरा, मट्टन, गणेशपोरा और पहलगाम के विभिन्न मंदिरों में पूजा करती हुई 9 अगस्त को पवित्र गुफा पहुंचेगी। उसी दिन यात्रा का औपचारिक समापन होगा।
इस बार यात्रा को लेकर सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी की गई है। इस वर्ष यात्रा के लिए अतिरिक्त 180 केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की कंपनियां तैनात की गई हैं। इन बलों में सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस शामिल हैं। अमरनाथ यात्रा के लिए सेना ने ‘ऑपरेशन शिवा 2025’ शुरू किया है, जिसमें 8,500 से अधिक जवान तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक और युद्ध उपकरण भी लगाए गए हैं। जम्मू से लेकर बालटाल और पहलगाम के दोनों बेस कैंपों तक के सभी ट्रांजिट कैंपों को पूरी तरह से सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षित किया गया है। इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई को शुरू हुई थी और यह कुल 38 दिनों तक चलेगी, जिसका समापन 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन के अवसर पर होगा।
श्रद्धालु 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा तक दो प्रमुख मार्गों- पारंपरिक पहलगाम मार्ग और छोटा बालटाल मार्ग- से पहुंचते हैं। पहलगाम मार्ग से जाने वाले श्रद्धालु चंदनवारी, शेषनाग और पंचतरणी होते हुए लगभग 46 किलोमीटर की यात्रा करते हैं, जो सामान्यतः चार दिन में पूरी होती है। वहीं, बालटाल मार्ग से श्रद्धालु केवल 14 किलोमीटर की चढ़ाई करके एक ही दिन में दर्शन कर वापस लौट सकते हैं। सुरक्षा कारणों से इस वर्ष किसी भी यात्री के लिए हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद, अमरनाथ यात्रा शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ रही है।